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jabalpur, madhya pradesh, India
॥ ऊं परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ॥ शंख को ॐ का प्रतीक माना जाता है, इसलिए पूजा-अर्चना आदि समस्त मांगलिक अवसरों पर शंख ध्वनि की विशेष महत्ता है। ऐसी मान्यता है कि शंख ध्वनि से बुरा वक्त टल जाता है

रविवार, 12 दिसंबर 2010

महालक्ष्मी की पूजा

देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होने के बाद भक्त को कभी धन की कमी नहीं होती। भगवती महालक्ष्मी चल एवं अचल संपत्ति देने वाली हैं।


लक्ष्मी पूजन की संक्षिप्त विधि निम्न प्रकार से है-
- पवित्रिकरण: सबसे पहले पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके खुद का तथा पूजन सामग्री का जल छिड़ककर पवित्रिकरण करें।
- संकल्प: शुद्धिकरण के बाद संकल्प करें कि हे महालक्ष्मी मैं आपका पूजन कर रहा हूं।
- प्रतिष्ठा: संकल्प के बाद श्रीगणेश, महालक्ष्मी, सहित देवी-देवतओं की मंत्रों से प्रतिष्ठा करें।
- ध्यान: देवी लक्ष्मी का ध्यान करें।
- आव्हान: लक्ष्मी सहित श्रीगणेश आदि का आव्हान करें।
- आसन: देवी-देवताओं का आव्हान के बाद आसन के लिए कमल के पुष्प आदि अर्पित करें।
- पाद्य: चंदन, पुष्पादि युक्त जल अर्पित करें।
- अर्ध्य: अष्टगंधमिश्रित जल देवी को अर्पित करें।
- आचमन: अब आचमन के लिए जल चढ़ाएं।
- जल स्नान: महालक्ष्मी को जल से स्नान कराएं। ऊँ महालक्ष्म्यै नम: का जप करते रहें।
- दुग्ध स्नान: जल से स्नान के बाद दूध से स्नान कराएं।
- दधि स्नान: दूध स्नान के बाद दही से स्नान कराएं।
- घृत स्नान: दही से स्नान के बाद घी से स्नान कराएं।
- मधु स्नान: अब शहद से स्नान कराएं।
- शर्करास्नान: शहद स्नान के बाद शकर से स्नान कराएं।
- पंचामृत स्नान: पंचामृत अर्थात दूध, दही, घी, शहद, शकर से स्नान कराएं।
- गंधोदक स्नान: गंध अर्थात चंदन मिश्रित जल से स्नान कराएं।
- शुद्धोदक स्नान: अब गंगाजल अथवा शुद्ध जल से स्नान कराएं और लक्ष्मी प्रतिमा साफ कपड़े से पोंछकर यथास्थान पर स्थापित करें।
- आचमन: ऊँ महालक्ष्म्यै नम: मंत्र जप के साथ महालक्ष्मी के समक्ष आचमनी से जल अर्पित करें।
- वस्त्र: अब शुद्ध पवित्र वस्त्र अर्पित करें। फिर आचमन के लिए जल अर्पित करें।
- उपवस्त्र: कंचुकी आदि उत्तरीय वस्त्र चढ़ाएं। फिर आचमन के लिए जल अर्पित करें।
- मधुपर्क: कांस्य धातु के बर्तन में मधुपर्क चढ़ाएं। फिर आचमन के लिए जल अर्पित करें।
- आभूषण: अब देवी को आभूषण समर्पित करें।
- गंध: अनामिका अंगुली (रिंग फिंगर) से केसरादि मिश्रित चंदन अर्पित करें।
- रक्तचंदन: अनामिका अंगुली से रक्तचंदन अर्पित करें।
- सिंदूर: अब महालक्ष्मी को सिंदूर अर्पित करें।
- कुंकुम: देवी को कुमकुम चढ़ाएं।
- पुष्पसार: अब लक्ष्मीजी को सुगंधित इत्र चढ़ाएं।
- अक्षत: कुमकुम से रंगे चावल देवी को चढ़ाएं।
- पुष्प एवं पुष्पमाला: महालक्ष्मी को हार-फूल चढ़ाएं। कमल का फूल अवश्य चढ़ाएं।
- दूर्वा: अब दूर्वा चढ़ाएं।
- अंगपूजा: रोली, कुमकुम एवं पुष्प की पंखुडिय़ों को मिलाकर देवी को चढ़ाएं।
- अष्टसिद्धि पूजन: अब आठों दिशाओं में आठों सिद्धियों की पूजा कुमकुम और अक्षत देवी को अर्पित करके करें।
- अष्टलक्ष्मी पूजन: महालक्ष्मी के आठों स्वरूपों का ध्यान करके कुमकुम, अक्षत आदि देवी को अर्पित करें।
- धूप: अगरबत्ती, धूप आदि से आरती करें।
- दीप: श्री महालक्ष्मी के समक्ष दीप प्रज्जवलित करके आरती करें। फिर अपने हाथ धो लें।
- नैवेद्य: देवी लक्ष्मी को नैवेद्य अथवा प्रसाद, फल आदि चढ़ाएं। फिर अपने हाथ धो लें।
- करोद्वर्तन: ऊँ महालक्ष्म्यै नम: मंत्र जप के साथ हाथों में चंदन लगाएं।
- आचमन: देवी के समक्ष नैवेद्य ग्रहण करने का निवेदन करें। फिर अपने हाथ धो लें।
- ऋतुफल: अब ऋतुफल अर्पित करें। फिर अपने हाथ धो लें।
- तांबुल: लगा हुआ पान देवी को चढ़ाएं।
- दक्षिणा: श्रद्धानुसार देवी को दक्षिणा चढ़ाएं।
- नीराजन: अब कर्पूर आदि से आरती करें। जल छोड़ें और हाथ धो लें।
- प्रदक्षिणा: अपने स्थान पर ही देवी की परिक्रमा करें।
- प्रार्थना: अपनी मनोकामना देवी के समक्ष कहें और उन्हें पूरी करने की प्रार्थना करें।
- समर्पण: समस्त पूजन कर्म देवी को समर्पित करने की प्रार्थना करके, जल छोड़ें।
- क्षमा प्रार्थना: अब देवी के समक्ष प्रार्थना करें कि पूजन कार्य में किसी भी प्रकार की भूल या त्रुटि हुई हो तो महालक्ष्मी हमें क्षमा करें।
- विसर्जन: क्षमा प्रार्थना के बाद हाथ में चावल लेकर श्रीगणेश और लक्ष्मीजी आदि देवताओं के समक्ष चढ़ाएं।
यह सारांश पूजन विधि है। हर क्रिया के लिए अलग-अलग मंत्र दिए गए हैं। मंत्र जप करने में असुविधा होने पर ऊँ महालक्ष्म्यै नम: मंत्र जप के साथ पूजन करें। इस विधि से पूजा करने पर महालक्ष्मी की कृपा अवश्य प्राप्त होगी।


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